Thursday, 5 November 2009

एक दिन ही की तो बात थी

मैं उनसे कुछ कह न सका
एक दिन की ही तो बात थी

चंद पल बिता न सके वो मेरे संग
एक दिन ही की तो बात थी

दुख तो आज हो रहा है यारो
जो वो जनाजे में भी न आए
आखिर एक दिन ही तो बात थी

(ये पंक्तियाँ मेरे ब्लॉग साथी मलखान सिंह के ब्लॉग dunalee.blogspot.com से मैंने यहाँ share की हैं .)

1 comment:

संजय भास्‍कर said...

मैं उनसे कुछ कह न सका
एक दिन की ही तो बात थी
lajwaab rachna