Thursday 16 September 2010

दबंग तो बड़ा गरीब है



बात कुछ अजीब सी ही लगती है दबंग और गरीब .पर हाँ मुझे लगता है की वो तो सच में गरीब है ,जिसको अपने गरीब साथियों की बहुत फ़िक्र है क्यूंकि उसने अपनी दबंग उन्ही लोगों क्या लिए ही तो बनाई है . सलमान खान एक पाकिस्तानी चैनल को दिए साक्षात्कार में बोलते हैं की २६/११ में जो भी मीडिया ने दिखाया वो इसलिए क्यूंकि वहां तो अमीर लोग मारे गरीब नहीं थे. मारे तो माध्यम वर्गीय लोग भी थे और मीडिया ने उतनी ही कोवेरगे नरीमन हाउस को भी दी थी जितनी उन होटल्स को. और होटल्स के अन्दर भी तो इन्सान ही थे .

हाँ ,शायद सलमान खान को वो लोग नहीं दिखे थे जिनको उन्होंने कुचल दिया था .वो भी शायद अमीर थे और वो हिरन भी बहुत अमीर थे जो की सलमान ने मारे थे.आखिर सलमान या कोई भी इन्सान दोगुला क्यूँ हो जाता है सिर्फ कुछ करने के लिए .ऐसा लगता है आज फिल्म वाले ,सत्ता वाले कुछ भी कर सकते हैं ख़बरों में आने के लिए . सलमान को शायद भारतीय मीडिया पर गुस्सा आता होगा जिसने एक सफल सितारे को अस्ल ज़िन्दगी का खलनायक बना दिया .

सलमान दबंग नहीं देशद्रोही प्रतीत होते हैं की वो एक पाकिस्तानी चैनल पर जा कर ऐसा कुछ बोलते हैं जो की किसी को भी देश्वाशी को मजूर नहीं होगा. और हमारे मुंबई का दबंग यानी की बाल ठाकरे को वो इन्सान देशद्रोही लगता है जो उनसे नहीं बल्कि देश से माफ़ी मांगता है .और वो नहीं जो की इतने सकत लहजे से माफ़ी मांगता है जैसे की देश पर कोई एहशान कर दिया हो.


Monday 26 July 2010

याद

जब भी होता हूँ अकेला मैं,
बस याद आती है तेरी,
और याद कर के तुझे,
गुम हो जाता हूँ,
उन चंद पलों में,
जब तू थी मेरे पास,
प्यार ने कर दिया तेरे,
मुझको जोगी I

Tuesday 18 May 2010

आधी आधी है ज़िन्दगी ...

आधी आधी है ज़िन्दगी ...
आधी आधी है मेरी कहानी ...
आधी है धुप ,आधी है छाँव...
आधी आधी है मेरी बात
आधी आधी है तेरी बात ...
आधा आधा है तेरा रूप ...
आधे आधे हैं मेरे कदम...


आधा आधा है मेरा प्यार ...
आधी आधी है रात
आधी आधी है मेरी रूह ...
आधी आधी है ज़िन्दगी...

इस आधी आधी सी ज़िन्दगी में
कोशिश है बस कुछ हो जाये पूरा
बस तू और मैं और हो जाये ये ज़िन्दगी पूरी...

Thursday 11 February 2010

अलग

दुनिया में सब से अलग होना
या कहूँ की दुनिया से थोडा सा भी अलग चलना
इस दुनिया के लोगों को अजीब लगता है
लगता है की ये तो हमारी बनाई इन रस्मों को चकना चूर कर देगा
अगर आप बदलने की कोशिश करते हैं तो
उल्टा आप पर ही हमले हो जाते हैं
ऐसे नहीं वैसे नहीं
ऐसा क्यूँ वैसा क्यूँ
ऐसे मत करो ये मत करो
ऐसे करोगे तो ये हो जायेगा
वैसा करोगे तो वो हो जायेगा
ऐ दुनिया वालों अपना भी दिमाग लगाने दो
इन्सान को की वो भी कहीं तुम्हारे जैसा
पुतला ना बन जाये.

Tuesday 19 January 2010

दिन के अँधेरे में


दिन के अँधेरे में
रात के उजाले में
चाँद के उजाले में
सूरज के चांदने में
मैं लटका हुआ हूँ पेड़ के ऊपर
इन उनींदी आँखों में
सब लगता है
उल्टा पुल्टा
आँखे बंद करने से लगता है
डर लगता हैं
कहीं ये दुनिया
बदल ना ले
अपने रंग .


Saturday 16 January 2010

तन्हा तन्हा है सफ़र


तन्हा तन्हा है सफ़र
नज़र ना आता है यहाँ कोई हमसफ़र
एक ज़िन्दगी में आते लोग कईं हज़ार
उनमे से भी ना मिले कोई हमसफ़र
तन्हा तन्हा और होता जा रहा ये सफ़र

Wednesday 6 January 2010

तू ख़ुदा है


इश्क में ख़ुदा मिल गया
ख़ुदा में तू मिल गया
और कुछ ना चाहे ये दिल
मुझे तो बस तू चाहिए
तू ना मिला तो
ना हूँ मैं इस दुनिया में
मैं तो हूँ सूफी तेरे प्यार में
तू इश्क है
तू ख़ुदा है