Monday 2 November 2009

ये लाइफ है ना लाइफ



ये लाइफ  है  ना  लाइफ
पता  नहीं  क्या  है
कभी  ये  इतना  कुछ  देती  है
की  समेटने में  नहीं  आता
तो  कभी
ये  इतना  कुछ  ले  लेती  है
की फिर हमारे पास कुछ नहीं छोड़ती.
लाइफ में कभी कभी इतने  इफ हो जाते
हैं की दिल कर जाता है उफ.

ये सब बातें ऐसी लगती हैं
की
सब कहने की हैं
पर कहीं ना कहीं
क्या ये सच नहीं हैं
की ये लाइफ हम से ऐसे ऐसे
कृत्य करवाती है की हम भी
एक बार सोचते हैं
की क्या सच में ऐसा
हमने ही किया है .

कहीं ना कहीं
सच  कहूँ
तो मैं अभी नहीं जानता
की क्या लिख रहा हूँ
जब ध्यान आएगा तो जरुर सोचूंगा
की मैंने ये क्यूँ लिखा .

1 comment:

Unknown said...

life aisi hi hai...