Tuesday 10 November 2009

यादों की जीरोक्स




यारों संग बैठ के
उस चाय के खोखे पे
हाथ में कप और होठों पर चुगलियां
कौन-सी लड़की कौन-सा लड़का
कब, कैसे, क्या, कहां???? 
बैठना लाइब्रेरी के बाहर
गप्प हांकना
किस टीचर ने क्या कहा
क्या कराया, क्या नहीं पढ़ाया
कहां से जुगाड़ करें नोट्स
सीनियर्स को मस्का लगाना
नोट्स पाना
फोटोकॉपी किस दुकान की साफ है
कहां से सस्ती होगी जीरोक्स
पिछले प्रश्नपत्रों को खंगालना
नयों का अंदाजा लगाना
सब कुछ करना
मगर पढ़ाई.....
पास फिर भी हो जाना
नंबरों की किसे परवाह थी
प्राइवेट फील्ड में डिग्री किसे पूछनी थी???
जूनियर्स को बताना कि डोंट वरी
एक रात की पढ़ाई है काफी
आ जाना हॉस्टल में, या मिलना कल
क्या-क्या आएगा, सब समझा देंगे
कोई करता राजनीति 
तो कोई नासमझ उलझता उसमें
ऐसा भी होता है क्या पता था
किसी की खिंचाई
किसी की धुलाई
उठ के चल दिए, जब 'उसकी' कॉल आई
इंटर्नशिप तो कभी नौकरी की टेंशन
कोर्स के बाद दूर होती छोकरी की टेंशन
बाकी बातें छोड़ो, नॉट मेंशन
खैर, 
जो भी था, अच्छा था
मजा आता था
यारों संग बैठ के
उस चाय के खोखे पे

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