सपने कभी कभी,
सचाइयों से भी सच से लगते हैं I
लगता है की जो सोचा है,
वो बस कुछ कदम की दुरी पर है ,
पर वो तो दूर दूर तक नज़र में नहीं है I
क्यूँ अपने आप ही ज़िन्दगी को
इतना जालदार बना लेते हैं
की
उन जालियों से निकलते निकलते
अपने आप को इतना घायल कर लेते हैं
की
कुछ बचता ही नहीं ज़िन्दगी में I
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