"S"
Tuesday, 17 November 2009
कुछ ना बोल पाया
बोल कर भी उससे कुछ ना बोल पाया
बता कर भी उसे कुछ ना बता पाया
जान कर भी उसे ना जान पाया
छु कर भी उसे छु ना पाया
ना जाने कहाँ से आई थी वो
और ना जाने कहाँ चली गयी
और मैं बस सोचता ही रह गया I
1 comment:
संजय भास्कर
said...
sunder kavita
21 November 2009 at 06:57
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sunder kavita
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