Tuesday 19 January 2010

दिन के अँधेरे में


दिन के अँधेरे में
रात के उजाले में
चाँद के उजाले में
सूरज के चांदने में
मैं लटका हुआ हूँ पेड़ के ऊपर
इन उनींदी आँखों में
सब लगता है
उल्टा पुल्टा
आँखे बंद करने से लगता है
डर लगता हैं
कहीं ये दुनिया
बदल ना ले
अपने रंग .


Saturday 16 January 2010

तन्हा तन्हा है सफ़र


तन्हा तन्हा है सफ़र
नज़र ना आता है यहाँ कोई हमसफ़र
एक ज़िन्दगी में आते लोग कईं हज़ार
उनमे से भी ना मिले कोई हमसफ़र
तन्हा तन्हा और होता जा रहा ये सफ़र

Wednesday 6 January 2010

तू ख़ुदा है


इश्क में ख़ुदा मिल गया
ख़ुदा में तू मिल गया
और कुछ ना चाहे ये दिल
मुझे तो बस तू चाहिए
तू ना मिला तो
ना हूँ मैं इस दुनिया में
मैं तो हूँ सूफी तेरे प्यार में
तू इश्क है
तू ख़ुदा है