"S"
Friday, 30 October 2009
रे राही रे
रे राही ,रे राही रे
ना कर अभिमान
दर कदम दर चल
नहीं तो
गिर तू जायेगा
ना सोच सीधे
सातवाँ आसमां पाने की
रे राही ,रे राही रे
धीरे चल
पायेगा तू हर आसमां
दर कदम दर चल
करेगा तू हर आसमां को पार
रे राही रे ...
1 comment:
Randhir Singh Suman
said...
करेगा तू हर आसमां को पार
रे राही रे ...nice
31 October 2009 at 06:11
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करेगा तू हर आसमां को पार
रे राही रे ...nice
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