Tuesday 19 January 2010

दिन के अँधेरे में


दिन के अँधेरे में
रात के उजाले में
चाँद के उजाले में
सूरज के चांदने में
मैं लटका हुआ हूँ पेड़ के ऊपर
इन उनींदी आँखों में
सब लगता है
उल्टा पुल्टा
आँखे बंद करने से लगता है
डर लगता हैं
कहीं ये दुनिया
बदल ना ले
अपने रंग .