"S"
Tuesday, 19 January 2010
दिन के अँधेरे में
दिन के अँधेरे में
रात के उजाले में
चाँद के उजाले में
सूरज के चांदने में
मैं लटका हुआ हूँ पेड़ के ऊपर
इन उनींदी आँखों में
सब लगता है
उल्टा पुल्टा
आँखे बंद करने से लगता है
डर लगता हैं
कहीं ये दुनिया
बदल ना ले
अपने रंग .
3 comments:
chitra
said...
badiya hey ji.
11 August 2011 at 21:08
Anamikaghatak
said...
bahut badhiya.....wah
11 August 2011 at 22:28
Unknown
said...
:-)
12 August 2011 at 21:49
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3 comments:
badiya hey ji.
bahut badhiya.....wah
:-)
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