ज़िन्दगी ने बहुत से मोड़ दिखाएं हैं
एक और सही
एक और सही
पर ये मोड़ तो पीछे देखने को कहता है
कहता है देख तुने क्या क्या किया
हँसता है , चिडाता है
कहता है की तुने आखिर क्यूँ ये किया अपने साथ
क्यूँ इस ज़िन्दगी के लम्हों को बर्बाद किया
तुझे ऐसे ही नहीं दी जीने की इजाजत
हँसता तो मैं खुद भी हूँ
हँसता तो मैं खुद भी हूँ
की आखिर क्या हो गया था मैं उस दौरान
सवाल है आज इस मोड़ पर
और शायद ज़िन्दगी भर ...
3 comments:
बीते हुए कल के गवाये समय की सोच में आज का समय भी व्यर्थ जो जायेगा
aapne sahi kaha ... par un lamhon ko soch kar ab hansi aati hai ... ki aakhir kya maine vo sab kiya ...
hmmm beete hua kal chhutta nahi...aane wala kal pakad nahi sakte...is chakkar me ye aaj ka pal beet jata hai...kal me nahi iss pal me raho my dear :)
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