"S"
Thursday, 22 May 2008
दुनिया की ......
दुनिया की ऐसी की तैसी ।
अब नही हैं डर
बोले कोई भी कुछ भी ।
पागल था मैं
जो आज तक सुनता रहा
उन लोगों की बातें ।
अब नही है कोई मुश्किल
अब बस मैं ही मैं हूँ ।
बहुत हो गया हम
मैं भी तो कुछ हूँ
मैं भी बहुत कुछ है ।
दुनिया की तो ......
1 comment:
आशीष कुमार 'अंशु'
said...
वाह-वाह
31 May 2008 at 14:51
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वाह-वाह
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