Sunday 18 May 2008

ज़िंदगी ..........


ज़िंदगी बहुत अजीब है
है ना
सच में
मेरे लिए ज़िंदगी आसान थी
शायद ज़िंदगी अब उतनी ही मुश्किल हो गई है
आज का दिन बहुत अजीब था
शायद मेरा अपना बहम
शायद डर
पता नही क्यों
मैं कौन हूँ
क्यों धोखा दे रहा हूँ
अपने आप को
मेरी ज़िंदगी में कुछ है क्या
समझ नही आता
आज रोया हूँ मैं
क्यों रोया हूँ मैं
उस से बात की है
आज मैंने
अपने दिल
का हाल
आखिर उसी को क्यों बताया है मैंने अपने दिल का हाल
शायद
मैं उस से अभी भी प्यार करता हूँ ।
वो सच में मेरी दोस्त हैं आज लगता है
आज लगता है
बहुत ग़लतियाँ की है मैंने
इस छोटी सी  दुनिया  में  शायद  मैं
कहीं  खो  गया  हूँ
मैं मैं नही हूँ
मैं शायद
नही मुझे नही पता मैं क्या कर रहा हूँ
चलो जाने दो
मुझे भी नही पता की मैं क्या लिख रहा हूँ ।

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