Monday 24 December 2007

जहाँ मैं हूँ वहां उम्मीद पेहम टूट जाती है
जवानी हाथ मल-मलकर वहां आंसू बहती है
चमन है,फूल है,कल्लियाँ है.खुशबू भी है रंगत भी
मगर आकार वहां बुलबुल तराने भूल जाती हैं

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