क्यूँ हमें मौत के पैगाम दिए जाते हैं I
ये सज़ा कम है ,की जिए जाते हैं II
नशा दोनों में हैं साकी ,मुझे गम दे या शराब I
मैं भी पी जाती हूँ ,आंसू भी पिए जाते हैं II
एक तू है ,के हमारी नही तुमको परवाह I
एक हम हैं ,के तेरा नाम लिए जातें हैं II
ज़िन्दगी अपनी कशमकश में गुजरती है I
जी नही चाहता जीने को ,मगर जिए जातें हैं I
1 comment:
बढ़िया ॥ आपकी रचनाएँ पढ़ी ... ऊम्दा लिखते हैं , लिखते रहिये
आपका स्वागत है ॥ कभी हमारे ठिकाने पे भी आयें /
"नशा दोनों में हैं साकी ,मुझे गम दे या शराब
मैं भी पी जाती हूँ ,आंसू भी पिए जाते हैं "
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