Tuesday, 27 December 2011

लोकपाल लोकपाल लोकपाल

जब लोकपाल का मुद्दा नहीं था तो कितना आराम था

नेता

हमारे लोकसेवक आराम से रहते थे
उनको न कोई डर था ना कोई खोफ
जनता की याद तो अगले चुनावों में ही आती थी
और अब देखो हमारे लोकसेवक जिनको हमने चुनकर भेजा था
उन्हें याद आ गया की वो जनता के सेवक हैं
आखिर अगले महीने चुनाव जो हैं
और सब खतरे में हैं ...

मीडिया

साल के शुरू तक सब सही था
और फिर उदय हुआ अन्ना का
अन्ना ने तो सभी जगह अन्ना बीट शुरू करवा दी
वो कब सोये कब जागे
कब योग किया कब क्या किया
सब कुछ
बेचारे पत्रकार अन्ना ने अपने साथ उनको भी सन्यासी टाइप बना दिया
सुबह के तीन बजे भी खबरें लाइव हुई
और लगातार सैंकड़ो घंटे भी
वो भी बिना ब्रेक


हमारे घर

घरों में तो बहस ही तभी होती थी
जब चुनाव आते थे
और अब घर के मुद्दे भी बाद में हैं
पहले लोकपाल की बात जरुरी है


2011 तो लोकपाल में चला गया अब देखना है की क्या अगला साल भी इसी में जाएगा ... 















  




Tuesday, 20 December 2011

ये हैं हमारे कर्ता-धर्ता



MPs complained to Pawan Bansal saying they have booked tickets for New Year holidays. Don't want parliament extension!

To Sleep or Not to Sleep

जब सांसद संसद में आतें हैं तो बस ये हिसाब किताब करके की आज कितने बजे सोना है कितनी देर सोना है , या फिर आज किस मुद्दे पर हंगामा हो और फिर हम यहाँ से जल्दी सरक के कौन सी फिल्म देखें या फिर किस जगह खाना खाने जाएँ . 

हमारे द्वारा चुने गए नेता जिन्होंने अपने आप को तानाशाह मान लिया है , उन्हें काम सिर्फ तभी याद आता है जब उनकी लग जाती है , जैसे इन्टरनेट और social networking sites  पर नियंत्रण की बात हो या फिर अपनी गाड़ियों पर लाल बती की बात .

पिछले कईं दिनों से लोकपाल को लेकर बात चल रही थी की संसद सत्र बढाया जाएगा और सरकार ने तय भी कर लिया , पर क्या करें नेता तो सोते रहते हैं तो उन्हें कैसे याद रहे की नया साल आने वाला है ,और जब याद आया तो मंत्री साहब बगले झांकते नज़र आये ... 

ये तो संसद में भी सोते हैं और इनके वादे तो कभी उठते ही नहीं ...