Friday, 26 August 2011

"नींद"


थकी हुई आँखें सोती नहीं है कभी ...
सुकून की नींद के काबिल होते नहीं सभी ...
                     ...
फिर यही सोचता हूँ करके हर कर्म ...
के जो मैं चाहता था वो सच था या भरम ...
                     ...
भागती हुई रातों का पीछा कर कर  
के थक गए हम सभी ...

"पल"


पल पल जीता हूँ 
पल पल मरता हूँ
पल पल तुझे याद कर ,
तुझ संग जीता हूँ हर सपना .
हर सपने में बस तू है 
ज़िन्दगी में पाता हूँ तुझे हर कहीं 
चाहे हो वो सपना या सच ...

हर याद में तू है 

हर बात में तू है
मरता हूँ हर पल 
तेरे लिए नहीं पर अपने लिए
एक जगह है खाली इस ज़िन्दगी में

हँसता तो हूँ 
पर लगता है की खुद पर ही तो हंसी थी वो
एक उदास पल आया था
पर अब लगता है 
की वो तो सिर्फ धोखा था 
मैं तो बस पल जीता हूँ 
पल पल जीता हूँ 
   ( कुछ समय पहले ऐसा लगता था , पर अब आल इज वेल )

Saturday, 13 August 2011

"बहन"


लड़ता था मैं बहुत उस से
शिकायत जो लगा देती थी वो ...
नहीं पढता था तो
मम्मी नहीं वो पिटाई करती थी ...
छोटा हूँ मैं
फिर भी ना जाने कितने
नखरे सहती थी मेरे ...
और एक दिन अचानक उसकी शादी की बात उठी
बहुत गुस्सा हुआ था मैं
की इतनी जल्दी नहीं करनी उसकी शादी ...
मैं किस से लडूंगा
किस को कहूँगा की मेरे लिए ये बना वो बना ...
बहुत रोया था उस दिन
      शायद उस से भी ज्यादा ...
मैं हूँ उसका प्यारा
वो है मेरी
"बहन"...

( आज बहुत साल बाद राखी के दिन मिलूँगा , कुछ अलग ही है ये लम्हा )