Thursday, 19 November 2009

वो...




इस छोटी सी जिंदगानी में
किसी को पाना और खो देना


नादान दिल ना जानता था कुछ
अब ना धड्केगा
होश ना है ,रूठ गया है वो


अब तो भीड़ भी सूखा रेगिस्तान लगती है
बस अपने मन में ही बातें कर कर के हसना रोना है

रातों में नींद नहीं है ,दिन में वो नहीं है

बस देखती है उसको हर वक़्त 
की वो यहीं कहीं तो नहीं

पास हो कर भी वो इतना दूर है 
जानो वो कभी था ही नहीं 

पर जानता वो भी है 
  की मैं भी हूँ उसका