Monday, 21 September 2009
पुलिस की अजीब सनक
जंगल जंगल बात चली है पता चला है
चड्डी पहन कर फूल खिला है फूल खिला है
अब शायद ये पुरानी बात हो जाये .अब तो मोगली को भी पुरे कपडे पहनने पड़ेंगे जी हाँ मुझे भी चड्डी को लेकर एक बात पता लगी है . हरियाणा के शहर हिसार में पुलिस ने एक नया फरमान सुनाया है जिससे लड़को के कपड़ो पर आपति है . हम ये तो सुनते आयें हैं की इस शहर में उस शहर में लड़कियों के कपड़ो पर ऐतराज़ हुआ है . पर पहली बार ऐसा कुछ सुना है की लड़कों के शोर्ट्स या बरमुडा पहन कर निकलने पर किसी को ऐतराज़ हुआ है .
बात दरअसल ये है की हिसार पुलिस एक फरमान जारी कर शहरवासिओं को कहा है की वो रात के समय बरमुडा,काचा या फिर निक्कर पहन कर न घूमें . अब इस के पीछे कहानी ये है की पुलिस को कुछ शिकायतें मिली हैं की शोर्ट्स पहने वाले महिलाओं को छेड़ते हैं .अब लगता है की लड़कों को भी बच के रहना पड़ेगा .
ये बात वैसे हजम करने लायक नहीं है ,क्यूंकि ये बात कुछ ऐसी ही है की लड़कियों के साथ बलात्कार उनके छोटे कपडों के कारण होता है .ऐसे ही ये बात है की लड़के जब शोर्ट्स में होतें हैं तो लड़कियों को छेडेंगे .देखा जाये तो इस हिसाब से सबसे ज्यादा बलात्कार गोवा में होने काहेहियें ,क्यूंकि वहां तो सबसे कम कपडे पहने जाते हैं.अगर किसी को छेड़खानी कतरनी है तो वो पुरे कपड़ो में भी तो हो सकती है .
और किस हक से पुलिस किसी को ऐसे गिरफतार कर सकती है की उसने शोर्ट्स पहने हैं .अब समझ में नहीं आता हम कौन सी दुनिया में रह रहे हैं ,हमारे यहाँ आदमी धोती या लुंगी पहनते रहे हैं .तो उसको भी पुलिस किसी दिन बंद करा देगी ,तो वो लोग जो ६०-७० साल से धोती पहनते आयें हैं वो क्या पहनेगे .पुलिस को अपना काम करना कहिये ,लोगों की सुरक्षा कर के .और उस से भी जरुरी पहले अपनी हरकतों पर नज़र डालें ,फिर कुछ आगे करे.
Monday, 7 September 2009
ये है हमारी आज की दुनिया ...
अगर आप दार्जिलिंग में हाथ नहीं पकडेंगे तो फिर कहाँ जा कर पकडेंगे लगता है कुछ दिनों में हमें हाथों में हाथ डालने के लिए विदेश जाना पड़ेगा. जो भी आज कल हमारे आस पास हो रहा है उसे देख कर तो लगता है ही.ये जय और वीर के लव आज कल से बहुत अलग दुनिया दिखती है.यहाँ आप हाथ नहीं पकड़ सकते यहाँ तक की भाई बहिन भी,भाई बहिन साथ नहीं चल सकते ,काफ़ी शॉप में आप साथ नहीं बैठ सकते .अपनी ही पत्नी को किस नहीं कर सकते तो किस को करेंगे.
बात दरअसल ये है की अभी कुछ दिन पहले की है जब दार्जलिंग में गोरखा जनमुक्ति मोर्चा ने शहर में हाथों में हाथ डाल कर चलने और किसी आपत्तिजनक अवस्ता में घुमते या बैठे देख लिया तो आपकी खैर नहीं .और साथ ही साथ अगर आप नॉएडा में है तो अपने दोस्तों के साथ 10 min से ज्यादा कैफे में मत बैठयेगा,क्यूंकि क्या पता किस पल स्वयंभू नैतिक पुलिस अपने डंडे लेकर हमारे हाथ पैर तोड़ते मिलेगी .
एक बात ये समझ नहीं आती की क्या हाथ पकड़ने से हमारे समाज में गंदगी होती है ,या फिर काफ़ी पीने से .आपने कभी किसी सिगरेट पीने वाले को रोक कर देखा है , और उसका जवाब भी देखा होगा .हम बुरी चीज़ों को रोकने की बजाय छोटी छोटी चीज़ों पर लड़ते रहते हैं .जींस ना पहनो ,ये मत पहनो वो मत करो ये मत करो .लेकिन क्या कभी किसी नेता को बोला है की तुम इतना झूठ मत बोलो .कभी किसी सरकारी मुलाजिम को रिश्वत देने पर किसी को नैतिकता याद नहीं आती .प्यार के लिए किसी की जान ले सकते हैं पर किसी गुनाह के लिए आवाज़ उठाएं तो दोषी उन्हें ही बना दिया जाता है . अपने हित्तों के लिए आज कुछ लोग देश-समाज को 21वीं सदी की जगह तालिबानी युग की तरफ ले कर जा रहे हैं .
जैसे जैसे समाज विकसीत होने की कोशिश कर रहा है वैसे ही कहीं न कहीं से उसको पीछे धकलने वाले भी आ खड़े होते हैं .
घूंघट में गोरी क्यूँ जले
दो पग भी वो कैसे चले
कोई जाने ना
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