my first work place...
Wednesday, 10 December 2008
Friday, 5 December 2008
मीडिया , नेता और ........................ मुंबई
मैं सुमित ,बचपन से काफी कुछ देखा सुना है आतंकियों के बारे में ,लेकिन 26 नवम्बर 2008 को मुंबई में जो कुछ भी हुआ उस को देख कर मैं भी एक बार रुक गया था . 3 दिन तक जो मुंबई के समुंदर तट पर जो भी चला उसे पुरी दुनिया ने देखा , वाद प्रतिवाद हुए . हमने आप ने पड़ोसी पर जिम्मेवारी डाली तो उन्होंने हम पर ही जवाब ताल दिया . विरोध प्रदशन भी हुए हमारे नेताओं के खिलाफ , नेता तिलमिला गए .किसी ने बोला की शहीद के घर कुत्ता भी नही जाता तो किसी ने इसे छोटी सी घटना बताया जो की बड़े बड़े शहरों में हो ही जाया करती है .
आज कल समय से भी तेज़ कोई है जिसे लोकतंत्र का चौथा खम्भा भी कहा जाता है . काफ़ी कुछ हुआ ,करोडों लोगों ने सीधे मुंबई के ताज में छेद होते हुए देखे . जान पर खेल कर मीडिया वालों ने पुरी दुनिया को सच्चाई से रु बा रु भी कराया . और इसी चकर में शायद आतंकियों को लाइव सीसीटीवी भी मिल गए , और उन्होंने एक दो तो इसी चक्कर में सटीक निशाना लगा कर उड़ा भी दिया होगा .
इसी हो हाले में आखिर कर 29 नवम्बर को ओपरेशन समुन्दर खत्म हो गया . अब जो ये खत्म हुआ तो शायद कुछ लोगों को मौका मिल गया की अब सरकार पर सिस्टेम पर क्यूँ न बोला जाए . मुझे लगता है की नेताओं की जगह मीडिया ही सरकार चलाये तो कैसा रहे . अब एक बानगी देखिये की उन्हें सब पता है जो की शायद पुलिस ,इंटेलिजेंस को भी न पता हो , पुरा पुरा दिन खोज जरी रहती है .शायद हमारे सुरक्षा वाले इन्ही चैनल्स को देख कर ही हमारी सुरक्षा करतें हैं .
अब ज़रा मैं पते की बात पर आ जाऊँ हमारे प्रतिपक्ष के एक नेता जी मुख्तार अब्बास नकवी जी ने हमलों के बाद ताज के आगे हुए कुछ प्रदर्शनकारियों के खिलाफ कुछ बोल दिया , वैसे वो लोग आए तो थे सरकार ,सिस्टेम के खिलाफ बोलने पर उन लोगों में से कुछ ने नेताओं के खिलाफ निजी टिप्पणी भी कर दी .अब देखिये अगर आप लोगों ने उस प्रदशन को ध्यान से देखा हो तो वो लोग बस कैमरे में आने के लिए आ गए लगते थे . अब एक तेज़ से टीवी वाले चैनल के संवादाता ने उन सो कॉल्ड प्रदर्शनकारियों से बात करनी चाही तो लगा की वो सच में कैमरा दर्शन करने के लिए ही आयें हैं . उस वक्त मैं और मेरे दोस्त के ध्यान में वाही बात आई जो शायद नकवी जी को आई होगी .बस शब्दों का फेर है और रुतबे का भी .उन्होंने उन लोगों को लाली पाउडर वाला बोल दिया तो मैंने soclite बोल दिया .और एक बात ये की मैं कोई नेता अभिनेता नही हूँ एक अदना सा प्राणी हूँ जो अपने भर में खुश है .
अब सवाल ये उठता है की नकवी जी ने क्या ग़लत बोल दिया ,शायद बड़ी बड़ी कंपनियों को ये बात पसंद नही आई होगी की लाली पाउडर के बारे में कुछ बोले ,और समय से तेज़ ,इंडिया से तेज़ मीडिया वालों को एक और मुद्दा मिल गया की नेता लोग तो घबरा गए हैं .
गुस्सा हम सब में हैं ,मुझ में भी है पर इस गुस्से को सही जगह दिखाएँ
आज इस गुस्से से ठीक है उन नेताओं को माफ़ी मांगनी पड़ गई हो ,
अपनी सत्ता से हाथ धोना पड़ गया हो
लेकिन कहीं न कहीं हम अगर ख़ुद भी थोड़ा अपने लिए थोड़ा अपने देश के लिए सोचें तो कैसा रहे . मैं salute करता हूँ उस हर नौ जवान को ,उस शहीद को जिसने अपनी परवाह न करते हुए कितने ही लोगों की जान बचाई .
हमरे सोचने का वक्त है
हम सब के सोचने का वक्त है .
(मुख्तार अब्बास नकवी ने जो कुछ भी कहा एक तरीके से ग़लत था ,फिर भी उन्होंने इतना बोला की वो नाटक था कहीं न कहीं सच है . ये हम मीडिया वाले है जो अर्थ का भी अनर्थ कर देते हैं . फ़िर नेताओं को क्या बोलना आखिर ये भी तो इन्सान ही हैं .अगर कभी उस दिन प्रदशन की क्लीप किसी चैनल पर देखने को मिल जाए तो ज़रा ध्यान से देखना की कौन सच्चा है .)
आज कल समय से भी तेज़ कोई है जिसे लोकतंत्र का चौथा खम्भा भी कहा जाता है . काफ़ी कुछ हुआ ,करोडों लोगों ने सीधे मुंबई के ताज में छेद होते हुए देखे . जान पर खेल कर मीडिया वालों ने पुरी दुनिया को सच्चाई से रु बा रु भी कराया . और इसी चकर में शायद आतंकियों को लाइव सीसीटीवी भी मिल गए , और उन्होंने एक दो तो इसी चक्कर में सटीक निशाना लगा कर उड़ा भी दिया होगा .
इसी हो हाले में आखिर कर 29 नवम्बर को ओपरेशन समुन्दर खत्म हो गया . अब जो ये खत्म हुआ तो शायद कुछ लोगों को मौका मिल गया की अब सरकार पर सिस्टेम पर क्यूँ न बोला जाए . मुझे लगता है की नेताओं की जगह मीडिया ही सरकार चलाये तो कैसा रहे . अब एक बानगी देखिये की उन्हें सब पता है जो की शायद पुलिस ,इंटेलिजेंस को भी न पता हो , पुरा पुरा दिन खोज जरी रहती है .शायद हमारे सुरक्षा वाले इन्ही चैनल्स को देख कर ही हमारी सुरक्षा करतें हैं .
अब ज़रा मैं पते की बात पर आ जाऊँ हमारे प्रतिपक्ष के एक नेता जी मुख्तार अब्बास नकवी जी ने हमलों के बाद ताज के आगे हुए कुछ प्रदर्शनकारियों के खिलाफ कुछ बोल दिया , वैसे वो लोग आए तो थे सरकार ,सिस्टेम के खिलाफ बोलने पर उन लोगों में से कुछ ने नेताओं के खिलाफ निजी टिप्पणी भी कर दी .अब देखिये अगर आप लोगों ने उस प्रदशन को ध्यान से देखा हो तो वो लोग बस कैमरे में आने के लिए आ गए लगते थे . अब एक तेज़ से टीवी वाले चैनल के संवादाता ने उन सो कॉल्ड प्रदर्शनकारियों से बात करनी चाही तो लगा की वो सच में कैमरा दर्शन करने के लिए ही आयें हैं . उस वक्त मैं और मेरे दोस्त के ध्यान में वाही बात आई जो शायद नकवी जी को आई होगी .बस शब्दों का फेर है और रुतबे का भी .उन्होंने उन लोगों को लाली पाउडर वाला बोल दिया तो मैंने soclite बोल दिया .और एक बात ये की मैं कोई नेता अभिनेता नही हूँ एक अदना सा प्राणी हूँ जो अपने भर में खुश है .
अब सवाल ये उठता है की नकवी जी ने क्या ग़लत बोल दिया ,शायद बड़ी बड़ी कंपनियों को ये बात पसंद नही आई होगी की लाली पाउडर के बारे में कुछ बोले ,और समय से तेज़ ,इंडिया से तेज़ मीडिया वालों को एक और मुद्दा मिल गया की नेता लोग तो घबरा गए हैं .
गुस्सा हम सब में हैं ,मुझ में भी है पर इस गुस्से को सही जगह दिखाएँ
आज इस गुस्से से ठीक है उन नेताओं को माफ़ी मांगनी पड़ गई हो ,
अपनी सत्ता से हाथ धोना पड़ गया हो
लेकिन कहीं न कहीं हम अगर ख़ुद भी थोड़ा अपने लिए थोड़ा अपने देश के लिए सोचें तो कैसा रहे . मैं salute करता हूँ उस हर नौ जवान को ,उस शहीद को जिसने अपनी परवाह न करते हुए कितने ही लोगों की जान बचाई .
हमरे सोचने का वक्त है
हम सब के सोचने का वक्त है .
(मुख्तार अब्बास नकवी ने जो कुछ भी कहा एक तरीके से ग़लत था ,फिर भी उन्होंने इतना बोला की वो नाटक था कहीं न कहीं सच है . ये हम मीडिया वाले है जो अर्थ का भी अनर्थ कर देते हैं . फ़िर नेताओं को क्या बोलना आखिर ये भी तो इन्सान ही हैं .अगर कभी उस दिन प्रदशन की क्लीप किसी चैनल पर देखने को मिल जाए तो ज़रा ध्यान से देखना की कौन सच्चा है .)
Wednesday, 19 November 2008
जिंदगी जिंदगी जिंदगी
जिंदगी के रंग है हज़ार
जिंदगी में है रोना
जिंदगी में है खेलना
जिंदगी में है बचपना
जिंदगी में है पढ़ाई
जिंदगी में है डांट खाना
जिंदगी में है पिटाई खाना
जिंदगी में है मस्ती
जिंदगी में है फेल होना
जिंदगी में है पास होना
जिंदगी में है बहुत कुछ
जिंदगी में है प्यार
जिंदगी में है नशा
जिंदगी में है नफरत
जिंदगी में है गुस्सा
जिंदगी में है बदला
जिंदगी में है काम
जिंदगी में है कुछ खास
जिंदगी में धोखा है
जिंदगी में है मैं हूँ
जिंदगी में है वो है
जिंदगी में बहुत कुछ है
जिंदगी में जिंदगी हैं
जिंदगी में है दुत्कार है
जिंदगी में है जान है
जिंदगी में है मौत है
जिंदगी जिंदगी होते होते मौत हो जाती है
जिंदगी फिर भी चलती जाती है
जिंदगी जिंदगी जिंदगी
जिंदगी में है रोना
जिंदगी में है खेलना
जिंदगी में है बचपना
जिंदगी में है पढ़ाई
जिंदगी में है डांट खाना
जिंदगी में है पिटाई खाना
जिंदगी में है मस्ती
जिंदगी में है फेल होना
जिंदगी में है पास होना
जिंदगी में है बहुत कुछ
जिंदगी में है प्यार
जिंदगी में है नशा
जिंदगी में है नफरत
जिंदगी में है गुस्सा
जिंदगी में है बदला
जिंदगी में है काम
जिंदगी में है कुछ खास
जिंदगी में धोखा है
जिंदगी में है मैं हूँ
जिंदगी में है वो है
जिंदगी में बहुत कुछ है
जिंदगी में जिंदगी हैं
जिंदगी में है दुत्कार है
जिंदगी में है जान है
जिंदगी में है मौत है
जिंदगी जिंदगी होते होते मौत हो जाती है
जिंदगी फिर भी चलती जाती है
जिंदगी जिंदगी जिंदगी
Tuesday, 18 November 2008
चले जा रहा हूँ
चले जा रहा हूँ
कहीं अंत नही हैं
चला जा रहा हूँ अनंत में
कभी रुक सकूँ गा लगता नही है
कभी बैठ कर कुछ सौचुन्गा
लगता नही है
चले जा रहा हूँ
रुकना चाहता हूँ
पर रुकने का फायदा
रुकने का फायदा नज़र नही आता
नज़र है पुरी दुनिया की मेरे पर
पर , पर लगा कर उड़ जन चाहता हूँ
चाहता हूँ की अनंत सागर में तैरता ही चला जाऊँ
चले जा रहा हूँ
चलते ही जाना चाहता हूँ
Monday, 17 November 2008
कुछ कम
कुछ तो कम है ज़िन्दगी में
सच में हमारी ज़िन्दगी
कभी भी पुरी नही हो सकती
कुछ न कुछ तो कम होता ही है
चाहे वो प्यार हो या फिर पैसा
या फिर सुख चैन
ज़िन्दगी सच में एक खेल है
हमेशा इसमे जीतते तो नही हैं
पर कईं बार कुछ पा कर
भी खुश हो जाते हैं
कुछ कम है ज़िन्दगी में
कुछ लोगों में दिमाग की कमी
तो कुछ में दिल की .
और जब दिल और दिमाग साथ न दें तो
फ़िर शायद ज़िन्दगी की कमी हो जाती है
सच में हमारी ज़िन्दगी
कभी भी पुरी नही हो सकती
कुछ न कुछ तो कम होता ही है
चाहे वो प्यार हो या फिर पैसा
या फिर सुख चैन
ज़िन्दगी सच में एक खेल है
हमेशा इसमे जीतते तो नही हैं
पर कईं बार कुछ पा कर
भी खुश हो जाते हैं
कुछ कम है ज़िन्दगी में
कुछ लोगों में दिमाग की कमी
तो कुछ में दिल की .
और जब दिल और दिमाग साथ न दें तो
फ़िर शायद ज़िन्दगी की कमी हो जाती है
Saturday, 16 August 2008
आज फिर तेरी याद
आज फिर तेरी याद है आई
सपने मेरे तेरे साथ है लायी
तू मेरे साथ ना सही
हाथों में हाथ ना सही
तेरी यादें तौ हैं
तेरी बातें तौ हैं
इन आँखों में बस तू है बसी
जान ये मेरी तेरे नाम है लिखी
तू मेरे साथ ना सही
तेरी यादें तौ है
तेरी बातें तौ हैं
भूल ना पाऊं तेरी बातें सभी
तू ही धड्खन तू ही दिल की लगी
तू मेरे साथ न सही
हाथों में हाथ ना सही तेरी
यादें तौ हैं
तेरी बातें तौ हैं
तेरी बातें तौ हैं
आज फिर तेरी यादें हैं आई ।
तू मेरे साथ ना सही
हाथों में हाथ ना सही
तेरी यादें तौ हैं
तेरी बातें तौ हैं
इन आँखों में बस तू है बसी
जान ये मेरी तेरे नाम है लिखी
तू मेरे साथ ना सही
तेरी यादें तौ है
तेरी बातें तौ हैं
भूल ना पाऊं तेरी बातें सभी
तू ही धड्खन तू ही दिल की लगी
तू मेरे साथ न सही
हाथों में हाथ ना सही तेरी
यादें तौ हैं
तेरी बातें तौ हैं
तेरी बातें तौ हैं
आज फिर तेरी यादें हैं आई ।
ज़िन्दगी क्या है
मुझे समझ नही आता क्या है ज़िन्दगी
आखिर क्यूँ
इस सवाल का जवाब क्या चाहिये मुझे
मैं समझना नही चाहता
इस जीवन की उलझों को
मैं तौ जीना चाहता हूँ एक आसा सी जींदगी
मुझे नही पता कब होगा ऐसा पर
एक दिन तौ आयेगा ऐसा
जब सब कुछ होगा आसान
इन जीवन की सचआयिओं को मैं भी जानूंगा ।
आखिर क्यूँ
इस सवाल का जवाब क्या चाहिये मुझे
मैं समझना नही चाहता
इस जीवन की उलझों को
मैं तौ जीना चाहता हूँ एक आसा सी जींदगी
मुझे नही पता कब होगा ऐसा पर
एक दिन तौ आयेगा ऐसा
जब सब कुछ होगा आसान
इन जीवन की सचआयिओं को मैं भी जानूंगा ।
Thursday, 22 May 2008
दुनिया की ......
अब नही हैं डर
बोले कोई भी कुछ भी ।
पागल था मैं
जो आज तक सुनता रहा
उन लोगों की बातें ।
अब नही है कोई मुश्किल
अब बस मैं ही मैं हूँ ।
बहुत हो गया हम
मैं भी तो कुछ हूँ
मैं भी बहुत कुछ है ।
दुनिया की तो ......
Sunday, 18 May 2008
ज़िंदगी ..........
ज़िंदगी बहुत अजीब है
है ना
सच में
मेरे लिए ज़िंदगी आसान थी
शायद ज़िंदगी अब उतनी ही मुश्किल हो गई है
आज का दिन बहुत अजीब था
शायद मेरा अपना बहम
शायद डर
पता नही क्यों
मैं कौन हूँ
क्यों धोखा दे रहा हूँ
अपने आप को
मेरी ज़िंदगी में कुछ है क्या
समझ नही आता
आज रोया हूँ मैं
क्यों रोया हूँ मैं
उस से बात की है
आज मैंने
अपने दिल
का हाल
आखिर उसी को क्यों बताया है मैंने अपने दिल का हाल
शायद
मैं उस से अभी भी प्यार करता हूँ ।
वो सच में मेरी दोस्त हैं आज लगता है
आज लगता है
बहुत ग़लतियाँ की है मैंने
इस छोटी सी दुनिया में शायद मैं
कहीं खो गया हूँ
मैं मैं नही हूँ
मैं शायद
नही मुझे नही पता मैं क्या कर रहा हूँ
चलो जाने दो
मुझे भी नही पता की मैं क्या लिख रहा हूँ ।
Tuesday, 6 May 2008
मैं
अल्लाह
क्यों हूँ मैं यहाँ समझ नही आता
क्यों नही समझा जाता
क्या वो गलत नहीं हैं
क्या कमी मुझ मे ही हैं
मैं नहीं जानता
अल्लाह
क्यों हूँ मैं यहाँ समझ नही आता
क्यों नही समझा जाता
क्या वो गलत नहीं हैं
क्या कमी मुझ मे ही हैं
मैं नहीं जानता
अल्लाह
Subscribe to:
Posts (Atom)