रात इधर ढलती तो दिन उधर निकलता है कोई यहाँ रुकता तो कोई वहां चलता है दीप ऊ पतंगे में सिर्फ इतना है एक जलके बुझता है,एक बुझ्के जलता है
जहाँ मैं हूँ वहां उम्मीद पेहम टूट जाती है जवानी हाथ मल-मलकर वहां आंसू बहती है चमन है,फूल है,कल्लियाँ है.खुशबू भी है रंगत भी मगर आकार वहां बुलबुल तराने भूल जाती हैं